ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे हाथ की रेखाओं में हमारे जीवन के भावी संकेत मिलते हैं। वैसे तो कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के हाथ में लकीरों का जाल बुन जाता है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक रेखाओं के रूप में विद्यमान रहता है। इसे हम हस्तरेखा के रूप में जानते हैं। आम तौर पर पुरुषों का दायां हाथ तथा स्त्रियों का बायां हाथ देखा जाता है। यदि कोई पुरुष बायें हाथ से काम करता है तो उसका बायां हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाएं होती हैं, भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है।
हस्त रेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं। इस पद्धति में हथेलियों की बनावट उंगलियों के आकार के साथ-साथ हथेलियों पर उभरी रेखाओं की मदद से भविष्य के बारे में जाना जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, हमारे हथेलियों में कई रेखाएं मौजूद होती हैं। हस्तरेखा देखने का तरीका ही हस्त रेखा ज्ञान कहलाता है।
क्या है हस्त रेखा ज्ञान?
बीते कई सालो से मनुष्य यह जानने को उत्सुक रहा है कि उसका भविष्य कैसा होगा। खुद को संतुष्ट करने और भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारें में जानने के लिए ज्योतिष के आधार पर ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान और अंक ज्योतिष ज्ञान जैसी कई शाखाओं का निर्माण किया गया।

हस्त रेखा ज्ञान को विज्ञान की एक प्राचीन शाखा माना जाता है। यह ज्ञान हाथों की रेखाओं के आधार पर किसी व्यक्ति के चरित्र और उसके भविष्य का आकलन करती है। हस्त रेखा विज्ञान किसी भी संस्कृति, क्षेत्र अथवा धर्म तक सीमित नहीं है। यह कला विश्व भर में अनेकों सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पाया जाता है। इस कला के अभ्यास में जो व्यक्ति लगे होते हैं उन्हें हस्त विश्लेषक, हाथ पढ़ने वाला, हस्तरेखाविद्, हाथ पाठक या हस्तरेखा शास्त्री के नाम से जाना जाता है।
किसी-किसी हथेली पर दो जीवन रेखाएं होती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दोमुखी जीवन रेखा वाले लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं। आज के इस लेख में हम आपको दोमुखी जीवन रेखा के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं –
धन-संपत्ति का लाभ
यदि किसी के हाथ में जीवन रेखा से कोई शाखा निकलकर शनि पर्वत तक उठकर भाग्य रेखा के साथ जाती हो तो ऐसे लोग जीवन में बहुत धन कमाते हैं। ऐसे लोग एक से ज़्यादा स्त्रोतों से धन कमाते हैं। इन लोगों के जीवन में किसी भी चीज़ की कमी नहीं होती है।
लक्ष्य हासिल करते हैं
दोमुखी जीवन रेखा वाले व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं। ऐसे लोग बहुत हिम्मती होते हैं और हर प्रकार की परिस्थिति में अपने आपको ढाल लेते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में चुनौतियां भी बहुत अधिक होती हैं लेकिन ये ठोकरें खाते -खाते अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेते हैं।
हर क्षेत्र में मिलती है सफलता
जिन लोगों के हथेली पर समांतर जीवन दो जीवन रेखाएं हों, वे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे लोगों का भाग्य भी साथ देता है। ये लोग जिस भी काम को अपने हाथ में लेते हैं उसमें सफलता प्राप्त करते हैं।

उत्तर-पश्चिम दिशा – इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पूर्व दिशा – इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पश्चिम दिशा – इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं। कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
घर का आंगन – घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा देने वाले फूलदार पौधे लगाएं।